भारत का समझदार से समझदार राष्ट्रवादी यह मानने से कतराता है कि पाकिस्तान सऊदीअरब का उपनिवेश है जो हमारे यहां हिन्दू धर्म का वर्चस्व समाप्त करना चाहता है। वह कभी मित्र हो ही नहीं सकता। मूल बात यह है कि हम चाहें या न चाहें वह ‘हिन्दू’ शब्द को भारत से समाप्त करना चाहता है और हमें यही नाम धारण कर उसे मिटाना होगा।
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अगर उससे मिटाना है तो वणिक लाभ का त्याग करना होगा। हमारा तो यह मानना है कि उससे अमेरिका या सऊदी अरब भले ही मदद देते हों पर हमारे देश का ही काला पैसा वहां पहुंचकर पाकिस्तान के कर्णधारों की जेबे भर रहा है अतःवह बेफिक्र हैे। वह परमाणु संपन्न होने का आत्मविश्वास दिखाता है जबकि वास्तव में उसे भारत के कालेधंधों का नियंत्रक अपने यहां होने के कारण आंखें दिखाता है जिसे भारतीय कर्णधार दबी जुबान में अपने यहां भेजने की याचना करते हैं या कभी कभी अमेरिका या संयुक्त राष्ट्रसंघ में उसका नाम काली सूची में होने का दंभ भरते है।
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‘जरा याद करो कुर्बानी’ ब्रेक के बाद! तब तक इस दर्द भरे वातावरण में जलवा पर ठुमके वाले गाने सुने क्या?
लक्ष्यहीन प्रवचन-लघु हिन्दी व्यंग्य
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अगर आप अपना कर्तव्य पूरा करना नहीं चाहते या आलस्य ने घेर लिया है तो आत्मप्रचार में लग जाईये। अपने ऐसे कामों का बखान करें जो किये ही नहीं या फिर ऐसी सफलताओं का बखान करें जो मिली ही नहीं। लोगों बधाईयां देने लग जायेंगे। इससे दिन भर अच्छा पास होगा और कर्तव्यविमुखता का आरोप झेलने से बच जायेंगे।
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नोट-लिखने के लिये कोई विचार नहीं मिल रहा है इसलिये यह प्रवचन बिना किसी को लक्ष्य किये लिखा गया है। अगर किसी पर फिट बैठता है तो वह उसकी जिम्मेदारी होगी। हमारे लिये फेसबुक पर लिखना समय पास करना है-लोग तो बरसों ही कार्य किये बिना व्यस्तता का दिखावा करते हुए निकाल देते हैं।
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