अपनी जिंदगी में
जीने का अंदाज
हमारा अलग रहा है।
ज़माना चला जिसके पीछे
हमने बनाई दूरी उससे
तानों को बहुत सहा है।
कहें दीपकबापू पर्यटन में
दिल बहलाकर देखा
अपने घाव कभी दिखाये नहीं
परायों के दर्द को भी
सहलाकर देखा
पाया यही कि
मन चंगा कठौती में गंगा
कवि रैदास ने सही कहा है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
ग्वालियर मध्यप्रदेश फोन न-89889475264
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