3 मार्च 2011

कोई भी शैतान हो सकता है-हिन्दी कविता (nari aur shaitan-hindi kavita)

नारियों की देह को खाने के लिये
भेड़िया किसी भी भेष में हो सकता है
शिक्षक,
इंजीनियर,
समाज सेवक,
साहित्यकार,
राजनीतिक नेता,
प्रबंधक,
वैज्ञानिक
और दूसरे किसी रूप में भी
रचा बसा हो सकता है।

सबके सामने बैठकर
संतों की तरह तो
हर कोई उपदेशक हो जाता है,
मगर एकांत में किसी स्त्री के आते ही
कामाग्नि में जल जाती हैं
सब उपाधियां और पद की गरिमा,
कोई भी भीड़ में भेड़ की तरह चलने वाला
अकेले में नारी रूप देखकर
अपना इंसानी रूप त्यागकर
शैतान हो सकता है।
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