3 नवंबर 2014

उपदेश का चाबुक-हिन्दी कविता(upadesh ka chabuk-hindi poem)



कितना अच्छा सपना है
इस धरती पर
सभी मनुष्य देवता बन जायें।

चारों तरफ फिर रहे हैं
ढेर सारे समाज सुधारक
पुराने ग्रंथों के उपदेश
 चाबुक  की तरह  लेकर
दो पांव के जीवों पर बरसाते
यह मानकर कि
गधे भी घोड़े बन जायें।

कहें दीपक बापू  पुरानी मान्यताओं से
नये संदर्भ नहीं ढूंढते
सुधार और कल्याण के ठेकेदार
एक हाथ में उद्धार का झंडा,
दूसरे में परिवर्तन का डंडा,
वाणी में परमात्मा का नाम
हृदय में बसता एक ही विचार
अपना घर में भर जाये सोना
दीवारें चांदी  से सजायें।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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