24 मई 2010

नज़र-हिन्दी शायरी (nazar-hindi shaayri)

रास्ते पर खींचता हुआ
सरियों से लदा ठेला,
पसीने से अंग अंग जिसका नहा रहा है,
कई जगह फटे हुए कपड़ों से
झांक रहा है उसका काला पड़ चुका बदन,
मगर उस मजदूर की तस्वीर
बाज़ार में बिकती नहीं है,
इसलिये प्रचार में दिखती नहीं है।

सफेद चमचमाता हुआ वस्त्र पहने,
वातानुकूलित वाहनों में चलते हुए,
गर्म हो या शीतल हवा भी
जिसका स्पर्श नहीं कर सकती,
काले शीशे की पीछे छिपा जिसका चेहरा
कोई आसानी से देख नहीं सकता
वही टीवी के पर्दे पर लहरा रहा है,
क्योंकि मुश्किल से दिखता    है
इसलिये बिक रहा है महंगे भाव
सभी की नज़र ज़मी वहीं है।
---------


कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com

-----------------------------
‘दीपक भारतदीप की हिन्दी-पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका

3 टिप्‍पणियां:

Jandunia ने कहा…

तारीफ के काबिल पोस्ट

दिलीप ने कहा…

ek katu satya...gareebi bikti hai lekin use gareeb nahi bech sakte...

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत सुन्दर, सच्चाई यही है.

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

संबद्ध विशिष्ट पत्रिकायें

लोकप्रिय पत्रिकाएँ

वर्डप्रेस की संबद्ध अन्य पत्रिकायें