19 सितंबर 2010

अयोध्या के राम मंदिर या वन में नहीं खो गये-हिन्दी कविता ( ayodhya ke ram mandiy ya van men nahin kho gaye-hindi poem)

एक राम वह हैं जो
भक्तों की भक्ति से प्रसन्न हो
उनको दिख जाते हैं,
एक राम वह भी हैं जो
आस्था के दलालों के हाथ
बाज़ार में बिक जाते हैं।’
पर हे राम! आप धन्य हो
केवल नाम लेने से ही रावण हो गया अमर
मगर जिन पर आपकी कृपा हो
वही बाल्मीकी और तुलसी जैसा
आपका चरित्र लिख पाते हैं।
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अयोध्या के राम
सभी के हो गये,
जगह जगह पर बने राम मंदिर
उनमें कभी न भटके
न कभी वन में खो गये।
सर्वशक्तिमान के रूप और अलग अलग नामों पर
बने हैं दरबार
भक्त लुटाते
दलाल भरते घरबार
मगर राम को हृदय से जिसने स्मरण किया
वह उसी के हो गये।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com

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