15 अप्रैल 2011

जवान खून पी रहा ठंडा विष, गर्म नहीं है-हिन्दी हाइकू (javan khoon pee raha hai thanda vish-hindi hique)

कई चेहरे
पर्दे के पीछे खड़े
आगे बुत है,

मनोरंजन
बना है नशा बुरा
सब धुत हैं।

लोगों की आंखें
रंग देख रही हैं
शर्म नहीं है,

जवान खून
पी रहा ठंडा विष
गर्म नहीं है।

बिका ईमान
नकली मुद्रा पर
सच टूटा है,

जो करे दावा
सत्य बोलने का
वही झूठा है।
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लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर 
writer aur editor-Deepak 'Bharatdeep' Gwalior

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