यकीन करो
तुम्हारे दर्द की दवा करने
कोई फरिश्ता आकाश से नहीं आयेगा,
जमीन पर भी इलाज का दावा करने वाला
कोई इंसान बिना पैसे मरहम नहीं लगायेगा।
कहें दीपक बापू
कान से नारे सुनकर अनुसना कर देना,
लिखे वादे से भी आंख फेर लेना,
नुस्खे बनाये है सौदागरों ने
केवल अपने घर भरने के लिये,
दूसरे के घर की
रौशनी चुराकर जलाते अपने दिये,
आर्त होकर मत गाओ उनके गीत,
मतलब के हैं जो मीत,
कहीं रिश्ते नाम के रह जाते,
कहीं नाम से रिश्ते लोग बढ़ाते,
अपने सहने की ताकत बढ़ाओ
मुस्कराकर अपने गम घटाओ,
कोई नहीं है इस दुनियां में
लोग खरीद रहे खुद अपने लिये जख्म
इस ज़माने में आपसी
होड़ लगाकर
कौन किसका दर्द दूर कर पायेगा।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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