ख्वाहिश तो कर्जा लेकर भी पूरी हो जाती हैं,
फिर पूरी जिंदगी किश्तों में खो जाती है।
कहें दीपक बापू सामान लेने के सपने रोज आते हैं,
उधार लेकर भले पूरे कर लो ब्याज की पूंछ भी लग जाती है।
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जिन्होंने महलों में रहकर गुजारी जिंदगी
क्या वह समझेंगे वीरों के जंग की कहानी।
कहें दीपक बापू वातानुकूलन कक्ष में जो सोते हैं
मौसम से जूझने वाले मजदूर की उनको क्या व्यथा समझानी।
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नायक के बखान के लिये खलनायक होना चाहिये,
शब्दों को गीत बनाने वाला गायक मिलना चाहिये।
कहें दीपक बापू कहानियों से बहल जाते लोग
झूठी हो या सच्ची किसी की गाथा में मसाला जरूर लगाईये।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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