अपने विरोधी पर
शब्द प्रहार करते हुए उन्होंने कहा
‘वह बरसों जनता की सेवा में लगे हैं
लोग भी अब उनके चेहरे से थके हैं
नया चेहरा सामने नहीं आने देते
जहां मौका मिलता वहीं
अपने लिये हाथ फैला लेते हैं।
हमें देखो
अब तो सब छोड़ दिया है
नये चेहरों को जनता से जोड़ दिया है
बेटी को सौंप दिया है
पत्रकारिता का जिम्मा
बेटे को की जनसेवा की विरासत
अब हमारे घर में
कोई नहीं बचा युवा पीढ़ी में निकम्मा
हम तो करते हैं
महापुरुषों का अनुसरण
जो नयी पीढ़ी को आगे आने का मौका देते हैं।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com
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*एकांत में तस्वीरों से ही दिल बहलायें, भीड़ में तस्वीर जैसा इंसान कहां
पायें।*
*‘दीपकबापू’ जीवन की चाल टेढ़ी कभी सपाट, राह दुर्गम भाग्य जो सुगम पायें।।*
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5 वर्ष पहले
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