10 जुलाई 2010

कागज पर सड़क-हिन्दी हास्य कविताएँ kagaz par sadak-hindi comic poems)

देशभक्ति और गरीब की भलाई तो बस नारे हैं
जो लोकतंत्र के बाज़ार में
हमेशा बिक जाते हैं।
अमीर जताते दिखावे की मज़दूरों से हमदर्दी
भलमानस कहलाते, चाहे लूटने में दिखाते बेदर्दी
तो गद्दार भी नारे लगाकर
यहां वफादार का सम्मान पाते हैं।
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घोषणा है तो सड़क बन ही जायेगी,
तय बजट में से कुछ तो जरूर खायेगी।
लोग चल पायें या नहीं,
मगर कागज पर सड़क चकाचक नज़र आयेगी।

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कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com

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1 टिप्पणी:

M VERMA ने कहा…

लोग चल पायें या नहीं,
मगर कागज पर सड़क चकाचक नज़र आयेगी।
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फिर कागज़ पर ही मरम्मत होगा
और बहुतो की जेब भर जायेगी

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