पर्दे पर अभिनय नहीं कर पाते वह समाज सेवा मे जुट जाते
हैं,
सुर्खियों में बने रहने के जानते जो उपाय वही प्रसिद्ध
रह पाते हैं।
खेल में हारने वाले नृत्य कर बहलाते हैं अपना और लोगों
का दिल,
प्यार का हिसाब कौन पूछता कत्ल से जल्दी मशहूरी जाती
है मिल,
गंभीर चिंत्तन का विषय इस तरह सुनाते कि हास्य लगता है,
ं अपने मतलब के लिये हर कोई दूसरों का भला करते ठगता
है,
पुजते हैं फरिश्तों की तरह वह लोग पर्दे पर जो छा
जायें,
माननीय बनते वही जो दूसरों का अपमान कर ताली बजवायें,
कहें दीपक बापू बेबसों का भला करने की ताकत नहीं किसी
में नहंी
अल्प ज्ञानियों के गंभीर हुड़दंग में भी हास्य तत्व
नज़र आते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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