21 जुलाई 2014

बेईमान का आदर्श-हिन्दी व्यंग्य कविता(beiman ka adarsha-hindi satire poem)



पैसे की भूख में इंसान
दिल के जज़्बातों से नीयत चुराकर
नालायकी से हाथ मिला देता है।

दूसरे की भूख मिटाने के लिये
जिस हाथ से बनाता खाना
उसी से कंकड़ मिला देता है।

अपनी जिम्मेदारी के लिये
थामे है जिस हाथ में कलम
वही रिश्वत से मिला देता है।

कहें दीपक बापू अपने हाथ में
आदर्श का झंडा उठाये है हर इंसान
मौका पड़ते ही बेईमानी से मिला देता है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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