वह खुशी के पल थे निकल गये,
अब दर्द है यह समय
भी कभी निकल जायेगा,
जिंदगी का हर लम्हा जीती है सांसें
हम चलें या न चलें घड़ी का कांटा आगे बढ़ जायेगा।
कहें दीपक बापू हर इंसान वहमों के साथ चलता है,
मतलब के लिहाज से अपनी उसूल बदलता है,
फरिश्ते का मुखौटा लगाकर हर इंसान मिलता है
पता नहीं कब शैतान जैसा रूप दिखायेगा।
---------------
सर्वशक्तिमान के लिये आस्था वह जता रहे हैं,
अपने विश्वास की ऊंची कीमत बता रहे हैं,
कहें दीपक बापू दिल में बसा है दौलत का ख्याल
पुरानी परंपराओं का गुणगाान करते थकते नहीं
मगर उस पर अंग्रेंजी प्रपंच रचा रहे हैं।
--------------
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
‘दीपक भारतदीप की हिन्दी-पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
४.दीपकबापू कहिन
५,हिन्दी पत्रिका
६,ईपत्रिका
७.जागरण पत्रिका
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें