30 जुलाई 2014

रिश्ते का कत्ल-हिन्दी कविता (ristey ka katla-hindi poem)



पल भर की खुशी के लिये
आदमी उछलता है आसमान में
लंबे समय के गम बुलाता है,

पतंगे की तरह चुनता है रौशनी
करता है अपनी देह भस्म
आंखें बंद होने से पहले अक्ल को सुलाता है।

दिल की चाहत पूरी करने के लिये
भागता है इधर से उधर
रुह को रुलाता है।

कहें दीपक बापू रिश्ते का कत्ल
करने पर आमादा होता जब इंसान
दूसरे की अच्छाई में कसूर देखने से
पहले अपनी असलियत को भुलाता है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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