1 जनवरी 2015

चिंता का सौदा-हिन्दी व्यंग्य कविता(chinta ka sauda-hindi satire poem)



अनेक व्यक्त्वि
पूरे संसार की
चिंता करते नज़र आते हैं।

कागज और पर्दे पर
दर्दनाक शब्दों का
काला चित्र सजाते हैं।

कहें दीपक बापू चिंता का सौदा
अब प्रचार के बाज़ार में होता है,
दाम लेकर बनते हमदर्द
ऐसे बुद्धिमानों की दृष्टि में
हर इंसान रोता है,
कभी शुल्क ज्यादा लेकर
अपने घोषित खलनायक के
यह  प्रशंसक भी हो जाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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