18 फ़रवरी 2015

इशारे कौन समझता है-हिन्दी कविता(ishare kaun samajhta hai-hindi poem)



कभी अपना दर्द
हमने ज़माने से
उंगलियों के इशारों से कहा।

कभी किसी दूसरे का दर्द
हमने ज़माने से
आंखों के इशारे से कहा।

कहें दीपक बापू इंसानों का समूह
पूरी तरह बेहाल है,
पड़ा उसके चारों तरफ
लालसाओं  का जाल है,
अपने दिल की चीखों को ही
नहीं सुन पाता कोई
क्या दिखायेगा हमदर्दी
दूसरे के दर्द पर
जो हमने इशारे से कहा।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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