5 अप्रैल 2015

योग से संयोग बने-हिन्दी कविता(Yog se sanyog bane-hindi poem)


योग से ही बनता है
जीवन में संयोग
संयोग से मन में
आये शक्ति।

सांस से देह चले
शुद्ध हो तो
अच्छ विचार पले
मन में आये भक्ति।

कहें दीपक बापू अपने प्राण का
आयाम करो
जानो जीवन का मर्म,
अपने विकार हटाओ
जानो ज्ञान प्रकाश का कर्म,
मोहवश जिसे समझे सत्य
वह भ्रम का जाल है आसक्ति।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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