1 अप्रैल 2015

एक अप्रैल में हास्य रस नहीं-हिन्दी गज़ल(ak april mein hasya ras nahin-hindi gazal

जिसने हास्य रस का स्वाद कभी चखा नहीं।
हृदय में भरे कांटे, फूल उसका सखा नहीं।

जिनके पेट के हंसी का उत्पादन नहंी होता
फूहड़ता में ढूंढते मौज, जिसमें कुछ रखा नहीं।

परनिंदा और अपमान में करते वक्त बरबाद,
मजे के लिये विष पीने से कोई थका नहीं।

कहें दीपक बापू बिगड़ा है सोच का तरीका
एक अप्रैल के मूर्ख दिवस में कुछ रखा नहीं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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