बीसीसीआई की
क्रिकेट टीम एसीबी से-प्रचार माध्यम इन दोनों के इंडिया और आस्ट्रेलिया की टीमें
कहते हैं-हार गयी। प्रचार माध्यमों ने आठ देशों के खेल के नाम से खेली जाने वाली
अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता को विश्व स्तरीय प्रचार कर भारतीय जनमानस को खूब
लुभाया। जब तक कमजोर टीमों के सामान्य तथा
बड़ी टीमों के कमजोर प्रदर्शन से बीसीसीआई की टीम जीतती रही भारतीय जनमानस के उल्लास
को प्रचार माध्यम अपने विज्ञापनों की कमाई से भुनाते रहे। वैसे हमारा मानना है कि क्रिकेट मैच भी अब पहले
पटकथा लिखकर ही उसी तरह खेले जाते हैं जैसे फिल्म और टीवी धारावाहिक बनते
हैं। फिल्म और क्रिकेट के प्रायोजक संभवतः
एक ही समूह के लगते हैं क्योंकि अक्सर देखा गया है कि किसी भी तूफानी बल्लेबाज के
साथ समकालीन फिल्मी अभिनेत्री का इश्क का प्रसंग जरूर सामने आता है।
उस समय प्रचार
माध्यम खबरों का चटखारे लेकर सुनाते हैं।
लोग आकर्षित होते हैं। इस बार दावा उल्टा पड़ गया। अब खराब खेल से नाराज लोग खिलाड़ी अभिनेत्री के
प्रेम प्रसंग पर मर्यादा से बाहर जाकर टिप्पणियां कर रहे हैं। यह अनुचित है पर
सवाल यह है कि लोगों को इस तरह उकसावे के पीछे प्रचार माध्यम से जुड़े लोगों के साथ
ही संबंधित पक्ष जिम्मेदार नहीं है? जब तक सब ठीक चल रहा था तब जनमानस के सामने यह प्रसंग परोसने में उन्हीं
लोगों की भूमिका थी जो अब अमर्यादित टिप्पणियों से नाराज हो रहे हैं।
दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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