हिन्दी टीवी समाचार चैनल जिस तरह जिस तरह धर्म को लेकर विवादास्पद बयानों
को प्रचार के साथ ही उन पर बहसें कर रहे हैं उससे तो ऐसा लगता है कि समाज में
उत्तेजना का वातावरण वह अपने विज्ञापनों के प्रसारण के बनाये रखना चाहते हैं। अनेक
धर्मों के कथित झंडाबरदार सौ लोगों में कोई कथित जहरीला बयान देते हैं। अगर मीडिया
उनका स्वयं प्रचार न करे तो देश के बाकी हिस्सों में तो छोड़िये वहां मौजूद सौ लोग
भी उसे याद रखें यह संभव नहीं है। मगर मीडिया पहले उस बयान से सनसनी फैलाते हैं और
फिर शुरु होता है रुदन जिसे हम बहस भी कहते हैं।
अभिव्यक्ति की आजादी सभी को है पर किसी की विवादास्पद अभिव्यक्ति को देश भर
में प्रचारित करने पर अध्यात्मिक ज्ञान साधकों तथा समझदार लोगों को आपत्ति हो सकती
है।
आखिरी बात यह कि भारतीय धर्मों के अंधविश्वास, दोष तथा पांखड यहां पास
होने के कारण हमें दिखते हैं। बाहरी धार्मिक विचाराधारायें एक तरह से दूर के ढोल
सुहावने की तरह अच्छीलगती हैं। वरना तो इस
धरती पर शायद ही कोई ऐसी धार्मिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक विचार धारा हो जो सर्वगुणसंपन्न हो पर शायद इसलिये
हमारे प्रचार कर्मी उसे देखने की बजाय अपने ही देश की विचारधाराओं पर अपने शाब्दिक
आक्रमण कर इस टूट पड़ते हैं जैसे कि उनका बस चले तो सब एक ही दिन में समाज का सुधार
कर डाले। इतना ही नहीं अनेक स्थानीय कारणों से हुए विवाद, तोड़फोड़ तथा तनाव को
धार्मिकता से जोड़कर दिखाने से पूरे विश्व में जो भारत की छवि बन रही है उस पर भी
उनका ध्यान नहीं है। एक बात समझ में नहीं
आ रही कि भारतीय प्रचार कर्मी अपना व्यवसायिक धर्म निभा रहे हैं या फिर उनके अंदर
अंतर्राष्ट्रीय सम्मान पाने का वह मोह है जो भारत की धर्मिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक
स्थिति पर प्रतिकूल रचना करने पर मिलता है। बहरहाल इतना तय है कि उनके इस व्यवहार
से भारतीय धर्मों के अनुयायी यह तो मानने लगे हैं कि कहीं न कहीं अधिकतर प्रचार
माध्यम विदेशी प्रभाव से संचालित हैं।
एक योग
तथा ज्ञान साधक के रूप में हमारा मानना है कि मानव समाज में असुर तथा दैवीय
प्रकृत्ति के लोग होते हैं और रहेंगे।
दैवीय प्रकृत्ति के लोगों का यह दायित्व है कि वह अपनी दैहिक तथा
अध्यात्मिक शक्ति से उनका प्रतिकार करते रहें।
जब भारत की बात है तो भला यह दावा कौन करता है कि सभी यहां देवता बसते हैं? यह
दावा तो विदेशी विचाराधाराओं के विद्वानों का ही रहता है कि वह सारे संसार में
देवता ही बसायेंगे। असुरों को परास्त कर सर्वशक्तिमान कों प्रसन्न करने का दावा
हमारे यहां कोई नहीं करता। हां, उनसे
समाज की रक्षा का दायित्व सभी का है पर असुर इस धरती से मिट जायेंगे यह सपना हमारे
यहां नहीं देखा जाता।
दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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