26 अक्तूबर 2015

चाटुकारिता के व्यापारी-हिन्दी कविता(Chatukarita ke Vyapari-Hindi Kavita)

जिसने पाया विरासत में
सोने का सिंहासन
श्रम का मोल नहीं जानेगा।

पांव पर चलने से पहले
सिर पर पहना जिसने ताज
बेबसी पर वक्रदृष्टि तानेगा।

कहें दीपकबापू खुली हवा में
सांस लेने के फायदे
प्रकृति के कायदे
ज़माने से मान पाने वाला
चाटुकारिता का व्यापारी
गुलाम क्या जानेगा।।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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