सर्वशक्तिमान से इश्क करना भी
वह सिखायेंगे,
सोने के छिपे खजाने का रास्ता भी दिखायेंगे,
खुश रहे योगी के साथ भोगी भी
धर्म के ठेकेदार के रूप में वह
अपना नाम इसी तरह लिखायेंगे।
कहें दीपक बापू
मुख से लेते सर्वशक्तिमान का नाम,
अपनी इज्जत बढ़ाने के
साथ लेते दाम,
जिंदगी के हर पल में
स्वर्णिम सुख लेने की कला वह क्या सिखायेंगे।
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दिल और दिमाग से
सोचता है कौन,
हर कोई चीखने को आतुर
कोई रहता नहीं मौन,
हर कोई फायदों के पीछे पड़ा है,
ढूंढता है कहां खजाना गड़ा है।
कहें दीपक बापू
मेहनत से डर इंसान
मुफ्त सोना पाने पर हर जगह अड़ा है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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