तंग गलियों में गुजरते हुए
जिनको गम घेर लेता है,
उद्यानों में खिले हुए फूलों की सुंगध
उनको खुश नहीं कर सकती
बहारों से परे होकर
सुख उनसे मूंह फेर लेता है।
कहें दीपक बापू
मर गयी जिनकी संवेदनायें
मन उनका नहीं नाचता मयूर की तरह
उनकी अदायें कोई क्या समझेगा
खोया जिनका दिमाग,
शब्दों का जादू उन पर क्या चलेगा,
तसल्ली के लिये जुटाते सभी लोग
दुनियां का सामान
पल भर की खुशी के बाद
बिगड़े हालातों में
मरम्मत की चिंताओं का ढेर मिलता है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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