पर्दे पर चल रहे दृश्यों में
सजे सजाये कमरों को देखकर
आंखें फटी रह जाती हैं,
हैरानी इस बात की
वहां भी अमीरों को
बेचैनी घेरे रहती
नींद उन्हें क्यों सताती है।
कहें दीपक बापू
अक्सर हम सोचते हैं
महलों में क्यों घुस जाते रोग,
नहीं कर पाते धन कमाने वाले सामानों का भोग,
जिनके आशियानों में छेद है
हंसते हुए करते निराशा का सामना,
नहीं करते दुश्मन के लिये भी बुरी कामना,
जिनके पास ज़माने भर का सामान है
रोज अपनी ख्वाहिशों को पूरा करते,
कभी काम करते हुए नहीं थकते,
फिर भी कुछ खो जाने की चिंता
उनके रोज सताती है,
जिन जगहों पर रहकर
जिंदगी के स्वर्ग भोगने का देखते सपना
वहां रहने वालों के लिये वह
नरक क्यों बन जाती है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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