30 अगस्त 2014

युवा कंधे-हिन्दी कविता(yuva kandhe-hindi poem)




युवा कंधे अपने ऊपर
भविष्य के सपनों का
बोझ उठाये हैं।

फिसल गयी उम्र जिनकी
अपनी नाकाम जिंदगी  के आसरे
उन्हीं के दम पर जुटाये हैं।

नौनिहालों का लगा दिया
आकाश में उड़ने के
सपने देखनें में
स्वयं अपनी जिंदगी के पल
मौजमस्ती में लुंटाये हैं।

कहें दीपक बापू मार्गदर्शन का अभाव
हर पीढ़ी में दिखता
सभी बचते  परिवर्तन के युद्ध से
सौंपते हथियार नये योद्धा के हाथ
देकर बहादुरी दिखाने का संदेश
भले ही हवाओं के डर से भी
हमेशा अपना मुंह छुपाये हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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