23 जून 2015

समझदारी का नुस्खा-हिन्दी कविता(samajhdari ka nuskha-hindi poem)

आप संभलो
जग संभला समझो
आप जागो
जग जागा समझो।

कहें दीपक बापू आप सोये
जग सो रहा है
आप रोये
जग रो रहा है
आप खो गये
जग खो जायेगा
यह कभी न समझो।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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