12 जून 2015

हम सब एक हैं-हिन्दी कविता(ham sab ek hain-hindi kavita)

देश में महंगाई
बढ़ती जा रही है
बढ़ने दो।

सफेदपोश के अपराध
बढ़ते जा रहे हैं
बढ़ने दो।

कहें दीपक बापू कोई चारा नहीं
सिवाय इस मुगालते में रहने के
कि हम सब एक हैं
शतरंज की बिसात है समाज सेवा
मान लो भलाई का नारा
लगाने वालों की नीयत नेक है
प्यादों को फर्जी बनने के
रास्ते पर बढ़ने दो।
.....................
दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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