गुरदासपुर में हमले से भारत में भारी नाराजगी का वातावरण है अनेक सामरिक
विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान का सिंध प्रांत ऐसा है जहां अगर सही रणनीति
अपनायी जाये तो भारत उस पर नियंत्रण कर सकता है। पाकिस्तान के सिंधी भाषी मूलतः
वहां के पंजाबी भाषियों से सांस्कृतिक दृष्टि से एकरूप हैं पर दोनों के बीच भारी
वैमनस्य है। इसका कारण यह है कि पंजाब चूंकि हिमालय के निकट इसलिये वहां से नदियां
बहकर सिंध जाती हैं। पंजाब में उनके जल का
इतना दोहन हो जाता है कि सिंध पहंुचते पहुंचते उनमें जल कम रह जाता है। दूसरी बात
यह कि प्रभावशाली पंजाबियों ने पाकिस्तान तो ले लिया पर लाहौर से अधिक कराची में
भारत से गये उर्दू भाषियों को बसाकर वहां सिंधियों के लिये एक नया विरोधी समुदाय
स्थापित किया। इतना ही नहीं भारत से गये
जितने भी अपराधी हैं वह सब कराची में जाकर रहते हैं। कभी लाहौर या मुल्तान में
उनका निवास नहीं सुना जाता।
आज भी प्रभावशाली पंजाबी समुदाय सिंध,
ब्लूचिस्तान और सीमा प्रांत को अपने अनुचर की तरह
मानता है। हम कहते हैं जरूर है कि भारत
में कोई स्वयं को पहले भारतीय नहीं मानता पर सच यह है कि भारत शब्द इतना प्राचीन
है कि जनमानस में इस कदर बसा है कि उसे स्वयं को भारतीय कहने की आवश्यकता नहीं है।
पाकिस्तान की स्थिति अलग हैं। वहां के
जनमानस में भारत शब्द से घृणा भरी गयी है। समस्या यह है कि पाकिस्तान के प्रति
वहां कोई वफादार बन नहीं सकता। ऐसे में
पाकिस्तान मानसिक रूप से भी एक विघटित राष्ट्र है।
हमारे भारत के रणनीतिकारों को चाहिये कि वह सिंध में पाकिस्तान के विरुद्ध
चल रहे आंदोलनों को जीवंत करें। वहां जियो सिंध आंदोलन चलता रहा है जिसके शीर्ष
नेता हमेशा भारत की तरफ सहायता के लिये ताकते रहे हैं। अगर सिंध पाकिस्तान के लिये समस्या बना तो वह
आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से लड़खड़ा जायेगा।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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