19 अगस्त 2015

तन्हाई की सोच-हिन्दी कविता(tanhai ki soch-hindi poem)

तन्हाई हमेशा
बुरे सपने की तरह
नहीं सताती है।

अक्ल के दरवाजे खोल कर देखो
भीड़ में शामिल लोगो को भी
तन्हा हो जाने की
चिंता खाती है।

कहें दीपक बापू संबंध का नाम
कोई भी लिख दो
तन्हाई में की गयी सोच
सभी के व्यवहार का
बहीखाता साथ लाती है
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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