29 अगस्त 2015

ज़माने की बात-हिन्दी कविता(zamane ki baat-hindi poem)

कहीं लोहे की टंकी में
खाने का सामान भरा
कहीं बर्तन खाली है।

कहीं ज़माने के लिये
कुर्बान होने वाले को कहते कातिल
कहीं लोग झूठे वादों
बजाते ताली हैं।

कहें दीपक बापू समंदर में
सीपियां नहीं ढूंढ सकते
 कभी वह लोग
जिन्होंने किनारे पर तैरती
मछली जाल में पा ली है।
..............
दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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