24 अगस्त 2015

यह सोचना मूर्खता है-हिन्दी कविता(yah sochna moorkhta hai-hindi poem)


सिंहासन पर बैठकर
कोई इतराये नहीं
यह सोचना मूर्खता है।

आकाश में उड़कर
कोई इतराये नहीं
यह सोचना मूर्खता है।

कहें दीपक बापू नारे और वादों से
बहकने वालो
नक्कार खाने में तूती न बजाओ
कोई तुम्हारी सुनेगा
यह सोचना मूर्खता है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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