4 अक्तूबर 2008

अपने अह्सास अकेले में ही सजाना अच्छा लग्ता है-हिंदी शायरी

अपने अह्सासों की धारा में
बह्ते जाना ही अच्छा लगता है
लोगों की मह्फ़िल में
अपने दर्द का हाल सुनाकर
उनका दिल बहलाने से
अपने दिलदिमाग में
उठती गिरती ख्यालों की लह्रों में
डूबना उतरना अच्छा लगता है
बयां करो जो अपने दिल का दर्द
बनता है हमदर्द सामने दिखाने के लिये
पूरा ज़माना
पर नज़रों से हटते ही
हंसता है हमारे हाल पर
इसलिये अकेले में ही
अपनी सोच और ख्याल में
अपने अह्सास सजाना
कही ज्यादा अच्छा लगता है

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