सुना है बड़े लोग भी अब
रेलों और विमानों की
सामान्य श्रेणी में यात्रा करेंगे।
आम आदमी हो रहे परेशान
यह सोचकर कि
पहले ही वहां भीड़ बहुत है
अब यात्रा के समय
हम अपना पांव कहां धरेंगे।
पहले तो जल्दी टिकट मिल जाया
करता था
पर अब टिकट बेचने वाले
किसी बड़े आदमी के लिये
अपने पास रखे रहेंगे।
यह भी चल जायेगा पर
जिस आम आदमी को
हो गये बड़े आदमी के दर्शन
वह तो इतरायेगा
यह कैसे सहेंगे।
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लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
शब्द अर्थ समझें नहीं अभद्र बोलते हैं-दीपकबापूवाणी (shabd arth samajhen
nahin abhardra bolte hain-Deepakbapuwani)
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*एकांत में तस्वीरों से ही दिल बहलायें, भीड़ में तस्वीर जैसा इंसान कहां
पायें।*
*‘दीपकबापू’ जीवन की चाल टेढ़ी कभी सपाट, राह दुर्गम भाग्य जो सुगम पायें।।*
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5 वर्ष पहले
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