चैनल के प्रमुख ने
सभी कार्यकताओं को बुलाकर
प्रतिस्पर्धात्मक स्तर में
नंबर एक पर पहुंचने का नुस्खा बताया।
और कहा-‘
‘‘अब आ रहा है त्यौहारों का मौसम
इसे मत करो जाया।
फिल्मी सितारों
क्रिकेट खिलाड़ियों
तथा सभी प्रसिद्धि हस्तियों के घर के द्वार पर
कर दो अपने कैमरों की छाया।
गणेश चतुर्थी और नवदुर्गा के अवसर पर कोई मूर्ति
बाहर से घर ले आयेगा
तो फिर कोई उसे छोड़ने जायेगा।
कोई दोनों ही काम न करे तो भी
मंदिर में जाकर दर्शन के बहाने प्रचार चाहेगा।
इधर चल रहा है रमजान का महीना
कोई इफ्तार की दावत से
और बाद में ईद से
अपना मेहमानखाना भी सजायेगा।
फिर आ रहा है दशहरा और दिवाली
नहीं जाना चाहिये कोई मौका खाली
इससे जुड़ी हर खबर
टूटी खबर (ब्रेकिंग न्यूज) बनानी है
किसी तरह अपने टीआरपी रैकिंग बढ़ानी है
अगर पूरी तरह सफल रहे तो
समझो अच्छा बोनस मिल जायेगा।
किसी दूसरे चैनल ने बाजी मारी तो
वेतन का भी टोटा पड़ जायेगा।
...............................
‘दीपक भारतदीप की हिन्दी-पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
शब्द अर्थ समझें नहीं अभद्र बोलते हैं-दीपकबापूवाणी (shabd arth samajhen
nahin abhardra bolte hain-Deepakbapuwani)
-
*एकांत में तस्वीरों से ही दिल बहलायें, भीड़ में तस्वीर जैसा इंसान कहां
पायें।*
*‘दीपकबापू’ जीवन की चाल टेढ़ी कभी सपाट, राह दुर्गम भाग्य जो सुगम पायें।।*
*---*...
5 वर्ष पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें