दर्द जमाने में बहुत है
बगावत हर दिल में बसी है,
फरिश्तों का मुखौटा लगा लिया
जिन इंसानों ने
उनकी नीयत शैतानियत में फसी है।
कहें दीपक बापू
पैसे की भूख जिनकी कभी मिटी नहीं
वही लोगों को रोटी देने का
भरोसा दे रहे हैं,
दान के लिये ठेका लेकर
चंदा उगाही की दौड़ में भाग ले रहे हैं,
किसी बीमारी
का इलाज
जिनके पास नहीं है
वही दवा देने के दावे करते हैं,
भलाई के व्यापार में
दरियादिल वही मशहूर हुए
अपने घर के खजाने जो भरते हैं,
अपनी शान-ओ-शौकत में
मशगूल लोगों समझ
आम इंसानों को बुजदिल और बेजुबान
नहीं मालुम उनको
ज़माने के दिलों में
नफरत की कितनी आग बसी है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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