तलवार से एक कत्ल करोगे,
पर खुद भी कभी उसके वार से मरोगे।
अपनी शायरी से जीत लो दुनियां
अपना नाम अक्लमंदों की सूची में भरोगे।
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तलवारें है जिनके हाथ में
उन पर क्या भरोसा करना
कब कर बैठें वह अपने आदमी पर वार,
गरदना काटने पर बहादुरी
और कट जाने पर शहीद का दर्जा
भले ही जमाना देता है
पर शायरी से जीते हैं दिल जिन्होंने
उनको इतिहास अपने पन्नों में
हमदर्दों के रूप में दर्ज कर लेता है
सच कहा है कि किसी ने
लफ्ज़ों करते हैं जितना प्रहार
कर नहीं सकती वैसा तलवार।
कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com
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राम का नाम लेते हुए महलों में कदम जमा लिये-दीपक बापू कहिन (ram nam japte
mahalon mein kadam jama dtla-DeepakBapukahin)
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*जिसमें थक जायें वह भक्ति नहीं है*
*आंसुओं में कोई शक्ति नहीं है।*
*कहें दीपकबापू मन के वीर वह*
*जिनमें कोई आसक्ति नहीं है।*
*---*
*सड़क पर चलकर नहीं देखते...
6 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
दीपक जी,अच्छी रचना है।बधाई।
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