जेब में पैसा न हो तो भी
जश्न मना सकते हों उधार लेकर।
प्रचार महकमें के
दावों में बह जाना आसान है
जो बाजार में खुशी खरीदने के लिये
सारे साधन जुटा लेता है
दुकान और कर्जेदार का पता भी देता है
अगर भले हो तुम
पास नहीं आया नकद रुपया
तो भी चुकाओगे जान देकर।
--------------
उधार की रौशनी
कितनी देर चलेगी।
बाद में जिंदगी
ब्याज और किश्त की
अंधेरी गलियों में ही ढलेगी।
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कभी बाजार में जेब में पैसा न हो तो भी
जश्न मना सकते हों उधार लेकर।
प्रचार महकमें के
दावों में बह जाना आसान है
जो बाजार में खुशी खरीदने के लिये
सारे साधन जुटा लेता है
दुकान और कर्जेदार का पता भी देता है
अगर भले हो तुम
पास नहीं आया नकद रुपया
तो भी चुकाओगे जान देकर।
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उधार की रौशनी
कितनी देर चलेगी।
बाद में जिंदगी
ब्याज और किश्त की
अंधेरी गलियों में ही ढलेगी।
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कभी बाजार में
आज नकद कल उधार की
तख्ती मिलती थी
अब किश्तों पर हर माल उपलब्ध
लिखा मिलता है।
कभी कभी तो लगता है कि
नकद माल बेचने से
सौदागर खुश नहीं होता
किश्तों पर ब्याज मिलने के ख्वाब से ही
उसका चेहरा खिलता है।
आज नकद कल उधार की
तख्ती मिलती थी
अब किश्तों पर हर माल उपलब्ध
लिखा मिलता है।
कभी कभी तो लगता है कि
नकद माल बेचने से
सौदागर खुश नहीं होता
किश्तों पर ब्याज मिलने के ख्वाब से ही
उसका चेहरा खिलता है।
कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियरजश्न मना सकते हों उधार लेकर।
प्रचार महकमें के
दावों में बह जाना आसान है
जो बाजार में खुशी खरीदने के लिये
सारे साधन जुटा लेता है
दुकान और कर्जेदार का पता भी देता है
अगर भले हो तुम
पास नहीं आया नकद रुपया
तो भी चुकाओगे जान देकर।
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उधार की रौशनी
कितनी देर चलेगी।
बाद में जिंदगी
ब्याज और किश्त की
अंधेरी गलियों में ही ढलेगी।
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कभी बाजार में जेब में पैसा न हो तो भी
जश्न मना सकते हों उधार लेकर।
प्रचार महकमें के
दावों में बह जाना आसान है
जो बाजार में खुशी खरीदने के लिये
सारे साधन जुटा लेता है
दुकान और कर्जेदार का पता भी देता है
अगर भले हो तुम
पास नहीं आया नकद रुपया
तो भी चुकाओगे जान देकर।
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उधार की रौशनी
कितनी देर चलेगी।
बाद में जिंदगी
ब्याज और किश्त की
अंधेरी गलियों में ही ढलेगी।
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कभी बाजार में
आज नकद कल उधार की
तख्ती मिलती थी
अब किश्तों पर हर माल उपलब्ध
लिखा मिलता है।
कभी कभी तो लगता है कि
नकद माल बेचने से
सौदागर खुश नहीं होता
किश्तों पर ब्याज मिलने के ख्वाब से ही
उसका चेहरा खिलता है।
आज नकद कल उधार की
तख्ती मिलती थी
अब किश्तों पर हर माल उपलब्ध
लिखा मिलता है।
कभी कभी तो लगता है कि
नकद माल बेचने से
सौदागर खुश नहीं होता
किश्तों पर ब्याज मिलने के ख्वाब से ही
उसका चेहरा खिलता है।
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